गुरुआस्था समाचार
शादी समारोह में हुई गैंगवार के बाद पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में
बिलासपुर – बिलासपुर में 12 दिन पहले शादी समारोह में हुई गैंगवार के बाद पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए जानबूझकर मामूली धाराओं में केस दर्ज किया और बाद में भी गैर-जमानतीय धाराओं के बावजूद उन्हें थाने से रिहा कर दिया। यह मामला तारबाहर थाना क्षेत्र का है।
जाने क्या है पूरा मामला
25 नवंबर को जगन्नाथ मंगलम भवन में शादी समारोह के दौरान तेलीपारा निवासी शैलेष कश्यप और उसके दोस्तों पर बव्वन, उदित, कुश, ओम, और गुन्नी कश्यप ने हमला कर दिया। आरोप है कि शैलेष और उसके दोस्तों को बिना निमंत्रण जबरन घुसने का आरोप लगाकर पहले रोका गया और फिर कुल्हाड़ी, बेसबॉल बैट और हॉकी स्टिक से बेरहमी से मारा गया। हमले में शैलेष के सिर पर 30 टांके आए, और मनीष व अभिनव को भी गंभीर चोटें आईं।
पुलिस की कार्रवाई पर उठ चुके हैं सवाल
घटना के बाद पुलिस ने प्रारंभ में साधारण मारपीट की धाराओं में केस दर्ज किया। जब मेडिकल रिपोर्ट में युवकों की चोटों की गंभीरता उजागर हुई, तब हत्या के प्रयास (धारा 307) की गैर-जमानतीय धारा जोड़ी गई। इसके बावजूद पुलिस ने 11 दिन बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर 7 घंटे थाने में बैठाने के बाद रिहा कर दिया।
मेडिकल रिपोर्ट पर भी सवाल
अब पुलिस मेडिकल रिपोर्ट को चुनौती देते हुए दोबारा जांच की बात कह रही है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस ऐसा जानबूझकर कर रही है ताकि आरोपियों के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास की धाराएं हटाई जा सकें।
पुलिस का पक्ष
बिलासपुर पुलिस का कहना है कि मामले की जांच जारी है। उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट की दोबारा जांच कराने और आरोपियों पर गैर-जमानतीय धाराएं लगाने की बात कही है।
सवालों के घेरे में पुलिस
पुलिस की इस कार्रवाई से सवाल उठ रहे हैं कि गंभीर अपराध के बावजूद आरोपियों को संरक्षण क्यों दिया गया? जानलेवा हमला साबित करने के लिए उपलब्ध सबूतों को कमजोर करने का प्रयास पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीद को कम करता है।
इस घटना ने न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। पीड़ित पक्ष ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है, लेकिन पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है।