भाजपा मेयर के संभावित दावेदार कुमावत, विधानी, सोनी, यादव समेत अन्य में बेचैनी, रायपुर में आज होना है फैसला, पढ़ें पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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भाजपा मेयर के संभावित दावेदार कुमावत, विधानी, सोनी, यादव समेत अन्य में बेचैनी, रायपुर में आज होना है फैसला  

बिलासपुर – नगर निगम के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर गहमा-गहमी तेज़ है। मेयर और पार्षद पद के टिकट के लिए बड़े नेताओं ने खूब जोर भी लगाया है। ऐसे में शहर में इस बात की चर्चा खूब चल रही है कि पार्षद के टिकट वितरण में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल कि एकतरफा चली है या फिर डिप्टी सीएम अरुण साहू,विधायक सुशांत शुक्ला, धरम लाल कौशिक के समर्थक भी इस बार चुनाव मैदान में नजर आएंगे। साथ ही तखतपुर के विधायक धर्मजीत सिंह की भी दखल को लेकर शहर में चर्चा है। शुक्रवार की शाम तक एक बार फिर सूची जारी होने की बात कही जा रही है इसके बाद भाजपा की राजनीति और भी गरमा जाएगी। मेयर पद के दावेदारों की रेस में शामिल पूर्व महापौर विनोद सोनी, रामदेव कुमावत, सोमनाथ यादव, शैलेंद्र यादव,पूजा विधानी की बेचैनी भी बढ़ गई है। नियर पद के प्रत्याशी का फैसला कांग्रेस और भाजपा दोनों में राजधानी रायपुर से ही होना है।

अमर अग्रवाल, जो लंबे समय तक बिलासपुर में भाजपा का चेहरा रहे हैं, अपनी पहचान और अनुभव के कारण उनके समर्थकों की दावेदारी  सबसे आगे मानी जाती है।उनके राजनीतिक कौशल, प्रशासनिक अनुभव, और जनता के बीच गहरी पैठ ने उन्हें भाजपा के लिए एक मज़बूत विकल्प बनाया है। हालाँकि, हाल के वर्षों में स्थानीय स्तर पर कुछ असंतोष ने उनकी स्थिति को चुनौती दी है, लेकिन संगठन के भीतर उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता।

डिप्टी सीएम अरुण साहू के करीबी माने जाने वाले विधायक सुशांत शुक्ला, भाजपा में युवा नेतृत्व का प्रतीक बनकर उभरे हैं। उनके समर्थकों केनाम दावेदारों की सूची में शामिल होना इस बात का संकेत है कि पार्टी नई सोच और युवा नेतृत्व को महत्व दे रही है। सुशांत शुक्ला के समर्थकों का मानना है कि वे नई पीढ़ी को जोड़ने और पार्टी की छवि को तरोताज़ा करने में मदद कर सकते हैं।

धर्मलाल कौशिक, जो पार्टी के भीतर अपने सशक्त संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं, उनके समर्थक भी इस बार अपनी दावेदारी को मज़बूत कर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता ग्रामीण क्षेत्रों और पारंपरिक भाजपा समर्थकों के बीच अधिक है, जो कि नगर निगम चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कौशिक के समर्थक पार्टी नेतृत्व को यह समझाने में जुटे हैं कि उनकी उम्मीदवारी से भाजपा को व्यापक जनसमर्थन मिलेगा।

अमर अग्रवाल का अनुभव पार्टी के लिए एक बड़ी संपत्ति हो सकता है, लेकिन सुशांत शुक्ला की नई ऊर्जा और युवा वोटरों को आकर्षित करने की क्षमता पार्टी को एक नई दिशा में ले जा सकती है। वहीं, धर्मलाल कौशिक के समर्थकों की ओर से ग्रामीण और पारंपरिक वोट बैंक को साधने का प्रस्ताव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

चुनौतियां भी नहीं हैं कम

भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन के भीतर के असंतोष को दूर करना और सभी गुटों को एकजुट करना है। पार्टी नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना होगा कि उम्मीदवार चयन में पारदर्शिता और संतुलन बरकरार रहे, ताकि किसी गुट विशेष का असंतोष चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित न करे।

अगर भाजपा सही उम्मीदवार का चयन करती है और रणनीति को सही दिशा में ले जाती है, तो यह चुनाव न केवल नगर निगम पर कब्जा जमाने में मदद करेगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी की नींव को और मज़बूत करेगा।

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