प्रतिनिधि गुरुआस्था समाचार
दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में ईडी ने हाई कोर्ट में पेश किए दस्तावेज
बिलासपुर- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में इस बात का राजफाश किया है कि दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर नकली होलोग्राम की आपूर्ति की गई थी। इसके लिए नोएडा की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड की विधु गुप्ता ने पूर्व आबकारी आयुक्त अरुणपति त्रिपाठी को 90 लाख रुपये की रिश्वत भी दी थी। इस कंपनी ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का काम किया। इसमें अरुणपति त्रिपाठी समेत दो अन्य आइएएस अधिकारी शामिल थे, जो सिंडिकेट बनाकर काम कर रहे थे।
अरुणपति त्रिपाठी समेत दोनों नौकरशाह ने रिश्वत की रकम वसूलने के लिए एफए-10 ए लाइसेंस की बाध्यात को लागू कर दिया। इसे उन लोगों को दिया गया, जो शराब कारोबारी अनवर ढेबर से जुड़े हुए थे। इस तरह देशी शराब दुकानों में विदेशी शराब भी बेची जाने लगी। इसके एवज में 10 प्रतिशत कमीशन लिया जाता था। वहीं देशी शराब की बिक्री पर 75 रुपये प्रति पेटी कमीशन तय किया गया था। यह सब करने के लिए अरुणपति त्रिपाठी ने आबकारी नीति ही बदल दी थी। बता दें वर्तमान में दोनो नौकरशाह जेल में बंद हैं, वहीं त्रिपाठी की जमानत याचिका खारिज हो गई है, इसलिए अब उन्हें सरेंडर करना होगा।
छत्तीसगढ़ राज्य में शराब की बिक्री और लाइसेंसिंग में कमीशन कमाने के लिए सिंडिकेट द्वारा एक सुनियोजित व्यवस्थित साजिश को अंजाम दिया गया था। सीएसएमसीएल द्वारा संचालित दुकानों में गैर-शुल्क भुगतान वाली शराब की बिक्री के लिए आवश्यक व्यवस्था के अलावा कैश कलेक्शन का काम विकास अग्रवाल नामक व्यक्ति को दिया गया था। अनवर ढेबर ने अपने राजनीतिक हितैषियों के लिए और शीर्ष नौकरशाह के साथ मिलकर काम किया और उन दोनों ने एक आइएएस अधिकारी की समीपता का उपयोग करके पूरे घोटाले की कल्पना और योजना बनाई।
अनवर ढेबर ने आबकारी विभाग में अपनी पसंद के अधिकारियों को तैनात कराया और एफएल -10 ए लाइसेंस धारकों से रिश्वत वसूली का पूरा रैकेट चलाया। उन्होंने राज्य संचालित दुकानों से बेहिसाब अवैध शराब बेचने का घोटाला किया। इस लाइसेंस के तहत स्पिरि्रट एवं वाइन आयात हेतु समेकित वार्षिक अनुज्ञप्ति शुल्क पांच लाख रुपये एवं केवल वाइन आयात हेतु दो लाख विहित की गई थी। लाइसेंस अपने लोगों को दिया गया था।
अवैध शराब की 19.2 करोड़ बोतलें बेचीं
डिस्टिलर्स, होलोग्राम निर्माता, बोतल आपूर्तिकर्ता, ट्रांसपोर्टर, दुकानदार, नकद संग्रह एजेंसी, जिला उत्पाद शुल्क अधिकारियों, आदि की सक्रिय मिलीभगत से अवैध शराब की 19.2 करोड़ बोतलें बेचीं। जून 2022 में आइटी द्वारा की गई छापेमारी और उसके बाद ईडी की कार्रवाई के बाद ही घोटाले पर विराम लगा।