आरक्षण संशोधन विधेयक पर खुलकर बोलीं राज्यपाल अनुसुईया, पढ़े पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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आरक्षण संशोधन विधेयक पर खुलकर बोलीं राज्यपाल अनुसुईया,

रायपुर – राज्यपाल अनुसुईया उइके ने शनिवार को दुर्ग प्रवास के दौरान एक बार फिर आरक्षण संशोधन विधेयक पर खुलकर बोलीं। पत्रकारों के प्रश्न पर उन्हाेंने कहा कि वह एक संवैधानिक पद है काबिज हैं, इसलिए नियम, प्रक्रिया और कानून के प्राविधानों के अनुसार ही जो होना है, होगा।

उन्होंने एक बार फिर राज्य सरकार को भेजे गए 10 प्रश्नों के जवाब के बाद विधेयक पर विचार करने की बात दोहराई। इसके पहले भी राज्यपाल ने दिल्ली से लौटने के बाद एयरपोर्ट पर यह बात की थी। इसके बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था वह जवाब भिजवा देंगे। बतादें कि अभी तक सरकार की ओर से जवाब नहीं मिलें हैं।बीआइटी कालेज में 1997 बैच का सिलवर जुबली कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं । विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल उइके ने कहा कि वह कैसे राज्यपाल बनीं उन्हें जानकारी नहीं हुई। उनके पास अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोन आया था कि राज्यपाल बनने जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि राजनीति जितनी आसान दिखती है उतनी है नहीं, बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि मैंने कभी भी कुछ पाने के लिए राजनीति में मेहनत नहीं की , बल्कि राजनीति सेवा भावना के लिए की है।

छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक को राज्यपाल अनुसुईया उइके ने 10 आपत्तियों के साथ राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। राजभवन के आला अधिकारियों ने संशोधन विधेयक पर 12 दिनों तक विधि विशेषज्ञों की राय के बाद दस आपत्ति की हैं। राजभवन ने मुख्य आपत्ति राज्य सरकार की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की जनसंख्या को लेकर गठित क्वांटिफाइबल डाटा आयोग पर की है। डाटा आयोग की रिपोर्ट सरकार ने न तो विधानसभा में पेश की, न ही राजभवन को भेजा है। अब राज्यपाल ने डाटा आयोग की रिपोर्ट मांगी है।

राजभवन ने यह भी पूछा है कि क्या इस विधेयक को पारित करने से पहले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का कोई डाटा जुटाया गया था? अगर जुटाया गया था तो उसका विवरण दें। सरकार यह भी बताए कि प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग किस प्रकार सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ों की श्रेणी में आते हैं। राजभवन की आपत्ति में इंद्रा साहनी केस और बिलासपुर हाईकोर्ट की आपत्ति का भी जिक्र है।

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