गुरुआस्था समाचार
सिपाही की पिटाई से दुखी युवक के सुसाइड केस पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने दिखाई सख्ती DGP को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मांगा जवाब ,
बिलासपुर – सिपाही की पिटाई से दुखी युवक के सुसाइड केस पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने सख्ती दिखाते हुए पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। आयोग ने कहा है कि पुलिस की असंवेदनशील और अमानवीय रवैए के कारण युवक ने अपना जीवन खो दिया है।
इस पूरे मामले की जांच के लिए आयोग की टीम बिल्हा थाने आएगी और यह पता लगाएगी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने वाले दोषी अधिकारी कौन है और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। आयोग की इस तीखे तेवर से पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया है। इधर, गुरुवार को पुलिस की समझाइश के बाद घटना के तीसरे दिन परिजन शव ले जाने के लिए तैयार हुए और उसका अंतिम संस्कार किया।
ग्राम पंचायत भैसबोड़ निवासी हरीशचंद्र गेंदले (23) की सुसाइड केस में पुलिस की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। मंगलवार से चल रहे विरोध-प्रदर्शन और हंगामे के बाद गुरुवार को पुलिस अफसरों की समझाइश और जांच का भरोसा दिलाने के बाद परिजन शव ले जाने के लिए राजी हुए, तब अफसरों ने राहत की सांस ली। वहीं,
अब इस केस की मीडिया रिपोर्ट पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान ले लिया है। आयोग की तरफ से बताया गया है कि बिलासपुर में 23 वर्षीय युवक ने पिता की बेरहमी से पिटाई के बाद दुखी होकर ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी। इस मीडिया रिपोर्ट देखकर आयोग ने कहा है कि बाइक से टक्कर मारने के मामूली विवाद पर पुलिस ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और मृतक और उसके पिता की बेरहमी से पिटाई कर दी, जिससे शर्मीदगी के कारण युवक को अपनी जान देनी पड़ गई।
आयोग ने कहा- पुलिस ने अपने अधिकारों का किया दुरुपयोग
आयोग ने इस पूरी घटना पर पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही कहा कि एक मामूली विवाद पर पुलिस ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए पीड़ित के पिता को अवैध रूप से गिरफ्तार कर हिरासत में लिया और बेरहमी से मारपीट भी की। बेटे ने अपने पिता को पुलिस को पिटते हुए देखकर अपमान सहा और शर्मिंदगी के कारण आत्महत्या कर ली। पुलिस कर्मियों के स्पष्ट असंवेदनशील और अमानवीय रवैए के कारण एक अनमोल मानव जीवन खो गया है।
पीड़ित परिवार को राहत दी गई या नहीं
आयोग ने DGP को जारी नोटिस में यह भी पूछा है कि इस घटना के जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही यह भी पूछा है कि पीड़ित परिवार को कोई राहत दी गई है या नहीं। इसके संबंध में विस्तृत जानकारी दी जाए।
जांच के लिए आएगी आयोग की टीम
इस घटना की जांच के लिए आयोग ने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में संबंधित पुलिस स्टेशन का दौरा करने के लिए कहा है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किस तरह से उल्लंघन किया गया है। जांच में उन दोषी लोक सेवकों का पता लगाया जाएगा, जिन्होंने कथित पीड़ित को यातनाएं दी, जो संवैधानिक रूप से गैरकानूनी है। उन्हें दो महीने के भीतर जांच रिपोर्ट आयोग को देने के लिए कहा है।