विजयादशमी का पर्व दानवता पर मानवता के विजय का पर्व है , पढ़ें पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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विजयादशमी का पर्व दानवता पर मानवता के विजय का पर्व है

बिलासपुर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयदशमी उत्सव प्रतिवर्ष अनुसार छत्तीसगढ़ उच्चतर माध्यमिक शाला के प्रांगण में आश्विन कृष्ण प्रतिपदा दिन रविवार को मनाया गया | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री नवल किशोर अग्रवाल जी पूर्व न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य वक्ता क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्रीमान कैलाश जी रहे |
कार्यक्रम में स्वयंसेवकों के द्वारा का दंड प्रदर्शन, योग, व्यायाम ,द्वंद प्रदर्शन ,नि:युद्ध प्रदर्शन, पद विन्यास तथा घोष का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया|
इसके बाद कार्यक्रम के अतिथियों का परिचय छत्रपति केवट नगर कार्यवाह के द्वारा किया गया तथा उन्होंने बताया कि संघ की 98 वर्ष पूरा हुआ है | विजयदशमी के उपलक्ष्य में बिलासपुर नगर के आठ उपनगरों से पथ संचलन निकाला गया , जिसमें शारीरिक ,बौद्धिक एवं शस्त्र पूजन किया गया |कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री नवल किशोर जी का स्वागत माननीय नगर संघचालक प्रदीप शर्मा जी के द्वारा किया गया|

मुख्य अतिथि श्री नवल किशोर अग्रवाल जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि- संघ के पथ संचलन में अनुशासन देखने को मिला, संघ के संस्कार भारत के संस्कार को दिखाता है| विजयदशमी का उत्सव हम रावण पर राम के विजय का प्रतीक मानते हैं , मानसिक विकार हटाने के लिए हम 9 दिन मां दुर्गा की पूजा अर्थात शक्ति की पूजा करते हैं उसके बाद दशमी के दिन अपने अंदर की विकारों को अपने अंदर उत्पन्न शक्ति से मारने का कार्य करते हैं| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति निर्माण की संस्था है जिसमें चरित्र का निर्माण होता है | व्यक्तिगत प्रतिभा योग और व्यायाम से बढ़ेगी ,जो संघ के प्रत्येक स्वयंसेवक अपनी शाखा में करते हैं और व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़कर देश हित में, समाज हित में निरंतर लगे रहते हैं ।

हमसे ही देश आगे बढ़ेगा इस विश्वास के साथ स्वयंसेवक कार्य करते हैं। धर्म का अर्थ कोड ऑफ़ कंडक्ट है |यह कार्यक्रम बहुत ही अच्छा लगा और हमें बहुत कुछ सीखने को मिला । मुख्य वक्ता माननीय श्री कैलाश जी क्षेत्र प्रचार प्रमुख जी ने संबोधित करते हुए कहा कि विजयादशमी का पर्व दानवता के ऊपर मानवता की विजय का पर्व है। अन्याय, असत्य और अनीति पर विजय का पर्व है ।शक्ति के लिए शस्त्र पूजा जरूरी है। यह भारतीय जनमानस का पर्व है | सारे पर्व समाज पर केन्द्रित है समाज में स्थपित विकारों को खत्म करने के लिए है|

अस्तो मां सद्भग्मय से हमारी सभ्यता का शुभारंभ हुआ|हम समाज के लिए कार्य करते है ,हम परहित के सुख से सुख पाते है|समाज में कुरीति के रूप में विद्यमानसभ्यता के जो विकार है हम प्रयास करें तो 5 साल से 10 साल में हम इसे खत्म कर देंगे।
भारत का दर्शन धर्म से आरंभ होता है फिर अर्थ पर जाता है फिर काम पर आता है इसके बाद मोक्ष पर खत्म होता है। हाल में ही एक फिल्म आई थी द केरला स्टोरी जिसकी चर्चा की गई उन्होंने बताया कि उसमें लड़की को कैसे ट्रैप किया गया था।

जब हम दर्शन की बात करते हैं तो पश्चिम के दर्शन जो की कुछ ईसा पूर्व से शुरू हुई जिसमें कामना पर केंद्रित विचार और आज भी उनके दर्शन कामना पर केंद्रित है, पश्चिम का दर्शन पूंजी पर केंद्रित है। आज हमारे छोटे बच्चे मैगी पसंद है क्योंकि दिन रात ही टीवी पर विज्ञापन आता हैं इसलिए छोटे बच्चो को मैगी पसंद है।हम मॉडर्न हो गए हैं सभी कल्चरल मार्क्सिज्म के अंदर आ गए हैं। भारतीय पहनावा बहुत ही वैज्ञानिक है ।कम पहनना, ज्यादा पहनना भौगोलिक और इतिहास के कारण है।

वैज्ञानिकता से भरे इस पहनावा को छोड़कर हम पूंजीवाद और व्यक्तिवाद से भरें उस पहनावे की तरफ जा रहे हैं जो हमारे संस्कार और हमारे विचार पर प्रभाव डालते है जो गलत है । संघ ,शास्त्रों का प्रदर्शन संविधान पूर्वक करता है। अपनी शारीरिक क्षमता ,बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना ही शाखा का लक्ष्य है| हमारा उद्देश्य परम वैभव में स्वराष्ट्रम है एक दिशा में बढ़ाना सभी दिशा में जाना ही हमारा लक्ष्य है। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रदीप देशपांडे जी, विनोद तिवारी जी, प्रदीप शर्मा जी ,गणपति रायल जी ,रामधन रजक जी ,वसंत अंचल जी, डॉक्टर प्रफुल्ल शर्मा जी ,दिलीप शर्मा जी एवं पूर्व सांसद गोविंद राम मिरि जी ,पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल जी, ललित मखीजा जी , श्यामल गुप्ता जी,पूर्व महापौर किशोर राय जी एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति की उपस्थिति रही

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