शांत शहर बिलासपुर माफिया नशे और बढ़ते अपराध की गिरफ्त में ,सरकार का एजेंडा ही विकास विरोध का है -अमर , पढ़ें पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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शांत शहर बिलासपुर माफिया नशे और बढ़ते अपराध की गिरफ्त में ,सरकार का एजेंडा ही विकास विरोध का है -अमर ,
बिलासपुर – जिस सीवरेज परियोजना के कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा को पराजय की पीड़ा झेलनी पड़ी थी उसी सीवरेज का पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने एक बार फिर तरफदारी करते हुए कहा है कि भाजपा की सरकार बनी तो अधूरे सीवरेज के काम को पूरा कराया जायेगा हालांकि श्री अग्रवाल ने सीवरेज के गड्ढों से हुई परेशानी के लिए जनता से माफी मांगी है।श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि निस्तार पत्रक में शहर में जितने भी तालाब है उनका संवर्धन कराया जाए और अतिक्रमण हटाएं जाएं।मेरे कार्यकाल में तालाब को पाटकर रामा मेंगनेटो माल का निर्माण कराया गया यदि वह गलत था तो उसकी भी जांच कराया जाए।तालाबों के अस्तित्व को बचाने और अतिक्रमण हटाने वे आने वाले समय में धरना पर बैठ सकते है।

श्री अग्रवाल ने शहर के अधूरे विकास कार्यों को लेकर विभिन्न वार्डो में 25 दिनों तक रोज 2 घंटे तक धरना आंदोलन करने के बाद रविवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए वर्तमान शासन पर अनेक गंभीर आरोप लगाए उन्होंने अवैध निर्माण के नियमिती करण करने को लेकर कहा कि 2003 में अजीत जोगी,2018 में भाजपा शासन काल के दौरान जब वे खुद नगरीय प्रशासन मंत्री थे और 3री बार वर्तमान सरकार ने नियमितिकरण का निर्णय लिया लेकिन मेरा मानना है कि तीनों ही निर्णय गलत है।

उन्होंने कहा हमारा शांत शहर बिलासपुर माफिया राज,नशे और बढ़ते अपराध की गिरफ्त में आ चुका है। शहरवासी बढ़ती चाकूबाजी गुंडागर्दी लूट खून खराबे से निजात चाहते है, लेकिन पुलिस ही निजात अभियान की आड़ में धंधा चलाएं तो कैसे शांति आएगी? जनप्रतिनिधियों को अरबों रुपए की अधूरी विकास परियोजनाएं उन्हें घर के आईने में दिखाई नही पड़ती।इसीलिए जन जागरण के उद्देश्य से सोई हुई सरकार को जगाने अपने किए हुए कामों की जांच परख करने और उन्हें पूरा करने का संकल्प लेने के लिए उन्हें स्थलों पर जाकर मोर्चा लगाकर क्षेत्र के वासियों के साथ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बिलासपुर का कायाकल्प करने वाली योजनाओं को रोकने वाला आखिर कौन है?
 उन्होंने कहा साइंस कॉलेज के 25 एकड़ के परिसर में दिल्ली के प्रगति विहार की तरह बनने वाले परिसर की बदहाली का हाल देखने पहुंचे, करोड़ो की लागत के बाद भी कांग्रेस की सरकार के समय 10 से 15 परसेंट बचा हुआ कार्य पूरा नहीं हो सका और अब यह मैदान नशेडियो, जुआरियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बनते जा रहा है।दिल्ली के प्रगति मैदान तर्ज पर साइंस कॉलेज मैदान में मल सुविधाओं वाला केंद्र विकसित करने का कार्य 2016 से 2018 में 25 करोड़ की लागत से ज्यादा राशि के बाद भी अधिकतम दो साल में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट आज भी अधूरा पड़ा है।

वर्ष 2008 में लगभग 8 करोड़ की लागत से बने जिला खेल परिसर के हालात देखने गए और मोर्चे पर बैठे। बैडमिंटन,तैराकी कुश्ती, जिम, योगा टेबल टेनिस, हॉकी, क्रिकेट फुटबॉल जिन खेलों के लिए यह व्यवस्था की गई थी खेल तो नहीं हो नहीं हो रहे हैं भ्रष्टाचार का खेल हो रहा है।खेल परिसर सरकंडा की खराब स्थिति के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग इस मैदान को संवारने से लेकर सुविधा संसाधन और अधोसंरचना विकसित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिए जाने से मैदान की दुर्दशा हो रही है।

पूरे प्रदेश में 183 करोड़ की लागत से 471 सिटी बसें महानगरों की तर्ज पर हम ने चलवाई। बिलासपुर में 50 बसें आरम्भ हुई। चारों दिशाओं में बिलासपुर से जाने वाले हजारों नागरिकों को प्रतिदिन सस्ती और सर्व सुविधा युक्त आधुनिक परिवहन की सुविधा मिली।महामारी के समय लाक डाउन के बाद से सिटी बस की सुविधा बदहाली के दौर से गुजर रही है। नोडल एजेंसी लापरवाही से करोड़ों रुपए की बसे कबाड़ में तब्दील हो गई है। सिटी बस शुरू करवाने के बजाय आटो रिक्शा को साथ लेकर आंदोलन करवाया जा रहा है।
 उन्होंने कहा आज निस्तार पत्रक में दिखवा लो बिलासपुर में 70 तालाब थे। छोटे बड़े तालाबों से आम जनमानस की मूलभूत जरूरतों की आपूर्ति बावड़ी और तालाब के स्रोतों से होती रही, जिससे बिलासपुर का भूमिगत जल स्तर हमेशा बढ़िया रहा। हमारी सरकार बनने पर प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों की तर्ज पर सरोवर धरोहर योजना के द्वारा तालाबों के संरक्षण और संवर्धन के कार्य किया गया। आज उस में स्मार्ट सिटी के फंड को लगाकर खुद की उपलब्धि बता रहे हैं जबकि वार्षिक बजट हटाते जा रहे हैं।
तालापारा में तालाब भूमि बसे परिवारों का सर्वे कराकर 1000 यूनिट प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत स्थान पर घर बना कर देने का काम हमने किया। जतिया तलाब के संरक्षण और संवर्धन के कार्य की रूपरेखा बनाकर, राशि स्वीकृत कराकर तय की थी लेकिन डेडलाइन तय होने के बाद भी मार्च निकल गई और काम अधूरा है। निस्तार पत्रक में तालाब भूमि की जांच कराकर सार्वजनिक मद की जमीन को मुक्त कराने की आवश्यकता है। अमृतकाल में 75% ग्रामीण आबादी को शुद्ध पीने का पानी जल जीवन मिशन के द्वारा दिया जा रहा है, क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार के कारण छत्तीसगढ़ में देश मे सबसे पीछे चल रहे राज्यों में शामिल है। बिलासपुर शहर वासियों के लिए 2017 में 301 करोड़ की लागत दो पार्ट में स्वीकृत कर अहिरन नदी पर बांध बनाकर खुटाघाट जलाशय से 27 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाते हुए शहर के घर-घर में शुद्ध पेयजल आपूर्ति का काम 2019 में पूरा हो जाना था लेकिन 2023 में भी यह काम अधूरा रह गया है। शहर के विभिन्न वार्डो के घर घर में सतत जलापूर्ति के लिए हमारी सरकार के समय अमृत मिशन योजना केंद्र सरकार के सहयोग से चालू कराई। बांध से पानी देना तय नहीं हुआ है, पाइपलाइन की टेस्टिंग में प्रॉब्लम आ रहा है,भगीरथ प्रयास अधूरे हैं,5 साल पीने का पानी भी सरकार उपलब्ध नहीं करा पाई है जबकि सारे आवश्यक इंतजाम हमने करके दिए थे केवल पूरा कराना था। कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता जमीन लूटने की है तभी इन साढ़े चार वर्षों में एक नया उद्यान नहीं बना पाए।कांग्रेस काल में शहर के उद्यानों को बदहाल से गुजरना पड़ रहा है।

बहतराई में राज्य स्तरीय खेल प्रशिक्षण संस्थान जो 2007 में हमारी सरकार में बनना शुरू हुआ जिसके लिए ₹60 करोड़ हमने दिलाए।आज बनकर तैयार हुआ तो 100 करोड़ से ज्यादा खर्चा चुका था, आज इस में डेढ़ सौ करोड़ रुपए से भी ज्यादा लग चुके हैं लेकिन फिर भी उद्देश्यों के अनुरूप सुविधाएं खेल और खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रही है। जहां राज्य का चौथा एस्ट्रोटर्फ बनाया गया है, सुविधा युक्त इनडोर स्टेडियम भी हमने बनवाया, 28 खेलों की विधाओं में खेल खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने के लिए 49 एकड़ की जमीन में यह राज्य स्तरीय खेल प्रशिक्षण संस्थान भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल की देंन है।
वर्ष2007 में प्रदेश की पहली भूमिगत सीवरेज परियोजना 307 करोड़ की लागत से बनी, 267 किमी की लंबी पाइप लाइन बिछाने में पूरे शहर की जनता ने प्रसव पीड़ा का काल देखा। मल जल की ट्रीटमेंट की व्यवस्था हो, भूमिगत जल का संरक्षण हो, मच्छर के समस्या से मुक्ति मिल सकते, पर्यावरण प्रदूषण से बच सके, उपचारित जल से खाद बनाई जा सके आने वाली पीढ़ी को रोगों से बचाया जा सके, तात्कालिक राजनीतिक फायदे और नुकसान से परे सीवरेज की परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा था 2007-8 में कांग्रेस के महापौर ने वोट बैंक के लिए सीवरेज विरोधी अभियान छेड़ दिया,लेकिन वे इसे बंद नही करा सकी। इस योजना से तकलीफ है हमने भी झेली है लेकिन जनता को हुई तकलीफ़ के लिए खेद के साथ यह संकल्प है कि 90% काम हमने पूरा कराया था 5 सालों में कांग्रेस के सरकार न तो जांच करा सकी, ना पूरा करा सकी, केवल राजनीतिक रोटियां सेकने का काम इन लोगों ने किया है, हमारी सरकार आने वाली है अधूरे काम को भी हम पूरा करेंगे।

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