गुरुआस्था समाचार
कमज़ोरों को पुलिस कितना परेशान करती है यह तो साफ दिख रहा है-हाई कोर्ट,
बिलासपुर – सिविल लाइन पुलिस की भूमिका को लेकर मां बेटी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि छोटे लोगों को पुलिस कितना परेशान करती है यह तो साफ दिख रहा है। कोर्ट ने सिविल लाइन पुलिस के अलावा प्रभावशाली व्यक्ति को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
मामला बिलासपुर के सिविल लाइन पुलिस थाना क्षेत्र का है। 55 वर्षीय मां और 26 साल की बेटी जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है,सिविल लाइन पुलिस ने मामूली विवाद में एक प्रभावीशाली व्यक्ति के इशारे पर मां व बेटी के खिलाफ धारा 107 116 के तहत जुर्म दर्ज कर जेल भेज दिया। याचिकाकर्ता मां व बेटी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि जमीन विवाद के कारण जिले से बाहर रहने वाले एक प्रभावशाली व्यक्ति के इशारे पर सिविल लाइन पुलिस ने मां व बेटी के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया। दोपहर साढ़े 12 से लेकर शाम छह बजे तक सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पुलिस याचिकाकर्ताओं को बैठाए रही।
सिटी मजिस्ट्रेट ने जमानत देने के बजाय याचिकाकर्ताओं को जेल भेजने का आदेश जारी कर दिया। दूसरे दिन शाम पांच बजे रिहाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ताओं को ऐसे धाराओं में जेल भेजने की कार्रवाई की जिस पर थाने से ही जमानत की कार्रवाई पूरी की जा सकती है। विवाद भी इतना नहीं था कि दो महिलाओं को घर से जबरन उठाकर पुलिस थाने ले आई।
दोपहर 12 बजे से शाम तक थाने में बैठाए रखी और शाम के वक्त सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश कर वहां से जेल भेजने की कार्रवाई की करा ली। अधिवक्ता ने बताया कि शहर से बाहर रहने वाले एक प्रभावशाली व्यक्ति के इशारे पर पुलिस ने याचिकाकर्ताओं के साथ इस तरह ज्यादती की है। अधिवक्ता ने सिविल लाइन पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान उठाया है। उसने कहा कि याचिकाकर्ताओं को कानून में मिले अधिकार का भी उपयोग नहीं करने दिया। जमानत की प्रक्रिया भी पूरी नहीं करने दी। पुलिस की इस कार्रवाई से मां व बेटी दहशत में है।
कोर्ट ने की गंभीर टिप्प्णी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जब पुलिस कार्रवाई की जानकारी दी तब डिवीजन बेंच ने सिविल लाइन पुलिस की भूमिका को लेकर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि छोटे लोगों को कानून की आड़ लेकर पुलिस कितना परेशान करती है या साफ दिख रहा है। बांड भरवाकर थाने से छोड़ा जा सकता था। पर ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने सिविल लाइन पुलिस के अलावा याचिका में पक्षकार नंबर छह जिसे अधिवक्ता ने प्रभावशाली व्यक्ति बताया है और जिनके इशारे पर पुलिस ने कार्रवाई की है,कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी है।