भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर,आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी के संकेत , पढ़े पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर,आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी के संकेत ,

भारतीय अर्थव्यवस्था अब तेजी से पटरी पर आती दिख रही है और आर्थिक विकास में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। बुधवार को भारत सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2022) के GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) आंकड़े जारी किए। इस साल अप्रैल से जून के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने 13.5% के दर से विकास किया है। वैसे साल 2021-22 की पहली तिमाही में ये दर 20.1 फीसदी रही थी, लेकिन इसकी वजह लो बेस के आधार पर गणना करना रहा था।

दरअसल वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कोविड लॉकडाउन के चलते इकोनॉमी में 23.8 फीसदी की गिरावट आई थी। माना जा रहा है कि 2021-22 के लो बेस और घरेलू मांग में तेजी के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा है। साथ इस तिमाही में निवेश, खपत में तेजी देखी गई है। फिर भी ये आरबीआई के 16.2 फीसदी के अनुमान से कम है।

क्या थे अनुमान?

जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ बढ़ने की वजह लो बेस के साथ ही आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी को माना जा रहा है। लेकिन रेटिंग एजेंसी इकरा (ICRA) ने जीडीपी में 13 प्रतिशत की दर से ग्रोथ का अनुमान जताया था। वहीं भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी रिपोर्ट में 15.7 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान दिया था। वहीं RBI ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट करीब 16.2 प्रतिशत रह सकती है। ज्यादातर इकोनॉमिस्ट्स का मानना था कि जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 15 फीसदी रहेगी। इस लिहाज से जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े अनुमानों से कम ही रहे हैं।

वैसे, 13.5% की ग्रोथ इंडियन इकोनॉमी की दूसरी सबसे ज्यादा ग्रोथ है। इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 20.1 फीसदी थी। इसके साथ ही भारत, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के बाद अब देश की आर्थिक गतिविधियां फिर से सामान्य स्थिति में आ गई हैं। खासकर सेवा क्षेत्र में गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। इनमें एंटरटेनमेंट, रेस्टॉरेंट्स, खेल, बैंकिंग आदि शामिल हैं। दूसरी ओर कोर सेक्टर का आउटपुट जुलाई में धीमा होकर 4.5 फीसदी पर आ गया, जो एक साल पहले इसी

महीने में 9.9 फीसदी था। ग्रोथ की यह दर छह महीने में सबसे कम है।

इसके अलावा केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी जुलाई के अंत तक वार्षिक लक्ष्य के 20.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। एक साल पहले की समान अवधि में यह 21.3 प्रतिशत था।

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