नव दिवसीय नवकुंडीय श्रीरामचरित मानस महायज्ञ का भव्य आयोजन,संत श्री आसाराम बापू के शिष्य ओंकारानंद का सत्संग , पढ़ें पूरी खबर – गुरुआस्था न्यूज़

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नव दिवसीय नवकुंडीय श्रीरामचरित मानस महायज्ञ का भव्य आयोजन,संत श्री आसाराम बापू के शिष्य ओंकारानंद का सत्संग

लोहारा ब्लॉक के कुरवा खैरा गांव में नव दिवसीय नौ कुंडीय रामचरित मानस महायज्ञ का आयोजन 24 मार्च से 1 अप्रैल तक है। इस कार्यक्रम का आयोजन कुरवा खैरा के आसपास के 30-40 गांव के ग्रामीणों के सहयोग से जामड़ी पाटेश्वर धाम आश्रम बालोद छत्तीसगढ़ के संरक्षक रामबालक दास जी महाराज के मार्गदर्शन में हो रहा है।

श्रीरामचरित मानस महायज्ञ के छठवें और सातवें दिन कथावाचक के रूप में संत श्री आसाराम जी बापू के कृपापात्र शिष्य ओंकारानंद जी का सत्संग था।

श्री रामचरितमानस में ओंकार आनंद जी ने भगवान श्री रामचंद्र जी की चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्री रामजी का जन्म आज से लगभग 8,80,100 वर्ष पहले माना जाता है।

एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पिता, आदर्श शिष्य, आदर्श योद्धा और आदर्श राजा के रूप में यदि किसीका नाम लेना हो तो भगवान श्रीरामजी का ही नाम सबकी जुबान पर आता है। इसलिए राम-राज्य की महिमा आज लाखों-लाखों वर्षों के बाद भी गायी जाती है।

भगवान श्रीरामजी के सद्गुण ऐसे विलक्षण थे कि पृथ्वी के प्रत्येक धर्म, सम्प्रदाय और जाति के लोग उन सद्गुणों को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं।

श्रीरामजी अर्थव्यवस्था में भी निपुण थे। “शुक्रनीति” और “मनुस्मृति” में भी आया है कि जो धर्म, संग्रह, परिजन और अपने लिए- इन चार भागों में अर्थ की ठीक से व्यवस्था करता है वह आदमी इस लोक और परलोक में सुख-आराम पाता है।

श्रीराम जी धन के उपार्जन में भी कुशल थे और उपयोग में भी। जैसे मधुमक्खी पुष्पों को हानि पहुँचाए बिना उनसे परागकण ले लेती है, ऐसे ही श्रीरामजी प्रजा से ऐसे ढंग से कर (टैक्स) लेते कि प्रजा पर बोझ नहीं पड़ता था। वे प्रजा के हित का चिंतन तथा उनके भविष्य का सोच-विचार करके ही कर लेते थे। प्रजा के संतोष तथा विश्वास-सम्पादन के लिए श्रीरामजी राज्यसुख, गृहस्थसुख और राज्यवैभव का त्याग करने में भी संकोच नहीं करते थे। इसलिए श्रीरामजी का राज्य आदर्श राज्य माना जाता है।

राम-राज्य का वर्णन करते हुए ‘श्री रामचरितमानस में आता है :
बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग ।
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय सोक न रोग।।

देश के नेता भी भगवान श्री रामजी से कुछ गुण ले लें तो प्रजा के साथ-साथ उन नेताओं का भी कितना कल्याण होगा, यह अवर्णनीय है और सदियों तक यश भी फैला रहेगा।
महाराज जी आगे बताते हैं हमारे
भारतीयों के लिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन अत्यंत शुभ होता है। इस दिन भगवान ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना हुई तथा युगों में प्रथम सतयुग का प्रारम्भ हुआ।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक दिवस, मत्स्यावतार दिवस, वरुणावतर संत झूलेलालजी का अवतरण दिवस, सिक्खों के द्वितीय गुरु अंगददेवजी का जन्मदिवस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवर का जन्मदिवस, चैत्र नवरात्र प्रारम्भ आदि पर्वोत्सव एवं जयंतियों वर्ष-प्रतिपदा से जुड़कर और अधिक महान बन गयी।

इस मौके पर माल्यार्पण करने के लिए श्री योग वेदांत सेवा समिति के सदस्यगण दादू राम वर्मा, भूपेंद्र साहू, दिना साहू, विजय शर्मा, कुं लिकेश्वरी साहू, श्रीमती लक्ष्मी साहू, हरि ओम साधक परिवार, दर्जनों गांव से हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।

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