गुरुआस्था समाचार
4 नवंबर को योग निद्रा से जागेंगे देव, लेकिन प्रबोधनी एकादशी पर नहीं होंगे विवाह ,
चार महीने के शयन के बाद जगत के पालनहार भगवान श्री हरि 4 नवंबर को जागेंगे। इसी के साथ विवाह तथा मांगलिक कार्यो का आयोजन का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार देवउठनी ग्यारस पर सामान्य अबुझ मुहूर्त होने से तथा लोक परंपरा के आधार पर कहीं-कहीं सामाजिक विवाह समारोह ही हो सकेंगे। जनसाधारण के लिए विशेष विवाह मुहूर्त देवउठनी एकादशी से शुरू नहीं होंगे। क्योंकि इस बार देवउठनी एकादशी के दिन शुक्र तारा अस्त चल रहा है। जो 23 नवंबर को पश्चिम में उदय होने के उपरांत ही शादियों के विशेष मुहूर्त प्रारंभ हो सकेंगे।
ज्योतिषियों के अनुसार देवउठनी एकादशी के बाद भी मांगलिक कार्यों के लिए इस बार इंतजार करना होगा। शुक्र अस्त होने के कारण विवाह व मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश 24 नवंबर के बाद ही होगा। देवोत्थान एकादशी पर 4 नवंबर को भगवान विष्णु 4 माह की योगनिद्रा से जागेंगे और 5 नवंबर को तुलसी विवाह संपन्न होगा। सूर्य और शुक्र की स्थिति सही नहीं होने के कारण विवाह के मुहूर्त नहीं बन रहे हैं। क्योंकि शुक्र विवाह का कारक ग्रह माना जाता है।
देव उत्थान एकादशी के बाद भी शुक्र अस्त होने के कारण विवाह मांगलिक कार्यों का कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है। ग्रहों की गणना के अनुसार 23 नवंबर को शुक्र का उदय होने के बाद विवाहिक कार्यक्रम अन्य धार्मिक आयोजन हो सकेंगे। और वही विवाह का अंतिम शुभ मुहूर्त दिसंबर 14 तक रहेगा। इसके बाद 16 से सूर्य धनु राशि में प्रवेश करने से मलमास प्रारंभ होगा । जिसके कारण 1 माह के लिए मांगलिक कार्यो पर पुनः विराम लग जाएगा।
विवाह के लिए शुभ मांगलिक मुहूर्त
नवंबर 2022 -26, 27, 28
दिसंबर 2022- 2,7,8,9 ,14,
जनवरी 2023 – 25, 26, 30
फरवरी 2023- 9,10, 15, 16, 22
मार्च 2023- 8,9