कोयला संकट : रेलवे ने कोयले लदी मालगाड़ियों के निर्बाध परिचालन के लिए 24 मई तक, 657 पैसेंजर ट्रेनों को किया रद्द, पढ़े पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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कोयला संकट : रेलवे ने कोयले लदी मालगाड़ियों के निर्बाध परिचालन के लिए 24 मई तक, 657 पैसेंजर ट्रेनों को किया रद्द,

देश में कोयले को मौजूदा संकट को देखते हुए रेलवे ने कोयले की ढुलाई करनेवाली मालगाड़ियों को तरजीह देने का फैसला लिया है। रेलवे ने कोयले लदी मालगाड़ियों के निर्बाध परिचालन के लिए रेलवे ने 24 मई तक, 657 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। इनमें से 500 से ज्यादा ट्रेनें लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें और बाकी पैसेंजर ट्रेनें हैं। दरअसल भीषण गर्मी का वजह से बिजली की डिमांड बढ़ गई है। पॉवर स्टेशन इस कमी को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा बिजली पैदा कर रहे हैं और इस वजह से उनमें कोयले की खपत बढ़ गई है। कई राज्यों में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन पर असर पड़ने लगा है। इस समस्या को दूर करने के लिए रेलवे ने इन ट्रेनों को कैंसल कर दिया है, ताकि मालगाड़ियों को कहीं रुकना ना पड़े और कोयले की आपूर्ति लगातार होती रहे।

अप्रैल में बिजली की मांग में अचानक तेजी से बिजली घरों के सामने कोयले का संकट पैदा कर दिया है। इस कमी को पूरा करने के लिए रेलवे ने ये बड़ा कदम उठाया है। आपको बता दें कि कोयले की मांग को पूरा करने के लिए झारखंड, छत्तीसगढ़ और अन्य कोयला उत्पादक राज्यों की खदानों से रेलगाड़ियां देश के हर कोने में मौजूद ताप बिजली घरों तक कोयला पहुंचा रही हैं। कोयले की इस बढ़ी मांग पूरा करने के लिए कोलफील्ड के साथ ही रेलवे पर भी दबाव बढ़ गया है।

हाल ही में कोयला मंत्री ने कहा था कि देश के बिजली घरों में औसतन 10 दिनों का कोयला भंडार मौजूद है। सरकार की कोशिश है कि इस रिजर्व को मेंटेन रखा जाए। इसे ध्यान में रखते हुए रेलवे ने कोयला लदी मालगाड़ियों की औसत संख्या बढ़ा दी है और फिलहाल रोजाना 400 से ज्यादा कोयला लदी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। यह पिछले पांच साल में सबसे अधिक संख्या है। बता रेलवे की हर मालगाड़ी करीब 3,500 टन कोयला ढोने में सक्षम है।

माना जा रहा है कि पावर प्लांट्स में कोयले का भंडार बढ़ाने के लिए, कम से कम और दो महीने तक यह व्यवस्था जारी रखनी होगी। इसके बाद जुलाई-अगस्त में मॉनसून की वजह से कोयला खदानों में उत्पादन कम हो जाता है। उस समय के लिए भी पॉवर स्टेशनों को पहले से ही कोयले का स्टॉक रखना होगा। यही वजह है कि अभी से कोयले की ढुलाई बढ़ा दी गई है, ताकि गर्मियों के बाद बारिश के मौसम में भी ना कोयले की कमी हो और ना ही बिजली की।

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