गुरुआस्था समाचार
भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 36 प्रतिशत ओबीसी को दिया मौका,14 महिलाओं को मिला चुनाव लड़ने का मौका
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण देने और जातिगत जनगणना को लेकर पूरे देश में माहौल बना रही कांग्रेस की भाजपा ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में हवा निकाल दी है। भाजपा ने प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 85 पर प्रत्याशी घोषित कर ओबीसी से 31 लोगों को मैदान में उतारा है। यह अब तक घोषित कुल सीटों का लगभग 36.5 प्रतिशत है।
प्रदेश में पांच सामान्य सीटों पर टिकट का वितरण अभी बाकी है। संकेत मिल रहे हैं कि इनमें से और एक-दो सीटों से भाजपा ओबीसी को टिकट दे सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ओबीसी से 25 प्रतिशत प्रत्याशी उतारे थे। यानी इस बार भाजपा ने ओबीसी का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा दिया है।
वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो भाजपा वहां कुल 230 विधानसभा सीटों में से अब तक 136 पर प्रत्याशी घोषित किया है, जिनमें 40 ओबीसी से हैं। यह घोषित सीटों का 29 प्रतिशत है। यानी भाजपा ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मुद्दे को लपक लिया है। वहीं कांग्रेस है कि दोनों ही राज्यों में अब तक एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ओबीसी के लिए मौजूदा 14 प्रतिशत आरक्षण को 27 प्रतिशत करने का संशोधन विधेयक पारित कराया है। इसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को चार प्रतिशत के साथ कुल 76 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान है। यह विधेयक राजभवन में लंबित है। उधर मध्य प्रदेश में भी 2018 में बनी कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ओबीसी को दिए जा रहे 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। तब से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। हालांकि यहां मामला कोर्ट में लंबित है।
छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग से 22 विधायक और पांच लोकसभा सदस्य हैं। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में सामान्य वर्ग के लिए 51 सीट, एससी के लिए 10 सीट और एसटी के लिए 29 सीट आरक्षित है। ओबीसी वर्ग का दावा है कि उनकी आबादी प्रदेश में 52 प्रतिशत है जबकि क्वांटिफाइबल डाटा आयोग के अनुसार प्रदेश में इनकी आबादी 42 प्रतिशत तक है।