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कोई भी योग्य भागवत कथा कर सकता है, अयोग्य ब्राह्मण भी व्यासपीठ पर बैठने का अधिकारी नहीं…चिन्मयानंद बापू
बिलासपुर – भागवत कथा करने आए प्रसिद्ध कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने व्यासपीठ पर बैठने के अधिकार को लेकर ब्राह्मणों पर बड़ा कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि CM और कलेक्टर की कुर्सी हर कोई नहीं बैठ सकता। इसके लिए योग्यता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सूत जी की जाति को लेकर ठोस प्रमाणिक बातें नहीं लिखी गई है। फिर भी उन्होंने भागवत कथा की है। अयोग्य ब्राह्मण को भी व्यासपीठ में बैठने का अधिकार नहीं है। उन्होंने माना कि कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ है और अब उन्हें न्याय मिलना चाहिए।
चिन्यमयानंद बापू रामकथा के साथ ही भागवत कथा वाचक हैं। शनिवार से मुंगेली नाका स्थित ग्रीन गार्डन मैदान में श्रीमद् भागवत कथा करेंगे। छत्तीसगढ़ की महिला साहू समाज की प्रदेश अध्यक्ष यामिनी साहू की श्रीमद् भागवत कथा वाचन करने को लेकर की गई आपत्ति को लेकर उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में ही एक श्लोक है कि-विरक्तो वैष्णवो विप्रो वेदशास्त्र विशुद्धिकृत्। द्रष्टांन्कुशलो धीरो वक्ता कार्योतिनिःस्पृहः। इसका मतलब है कि योग्य कथावाचक को विरक्त होना चाहिए, वैष्णव होना चाहिए, विप्र का एक अर्थ ब्राह्मण भी होता है दूसरा अर्थ विवेक प्रधान जीवन जीने वाला है। व्यासपीठ में बैठने वाले को वेदशास्त्र का जानकार होना चाहिए। केवल रटी रटाई कथा न हो। वेदशास्त्र को जानने वाला अनाधिकारी होगा तो अर्थ का अनर्थ हो जाएगा। वक्ता को धैर्यवाहन होना चाहिए। अब इसे अपने विवेक से देखना चाहिए कि जाति सूचक लें या फिर विवेक प्रधान वाला माना जाए। यहां सारा विवाद खत्म हो जाना चाहिए। जाति जन्म से मानी जाए या फिर कर्म से इसे लेकर पुराना और लंबा विवाद है। ब्राह्मण में गुणवान ब्राह्मण श्रेष्ठ माना जाता है। योग्य ब्राह्मण ही व्यासपीठ का अधिकारी हो सकता है। अयोग्य ब्राह्मण भी व्यासपीठ में नहीं बैठ सकता। सूत जी ने भागवत की कथा की है और उनकी जाति के संबंध में ठोस प्रमाणिक बातें नहीं है। तो जब सूत जी भागवत कथा गाई तो योग्य व्यक्ति कथा क्यों नहीं कर सकता।