गुरुआस्था समाचार
कठोर चट्टानों का फ़ासला है , मज़बूत इरादों की इम्तिहां है – मासूम राहुल को बचाने एनडीआरएफ़ टीम के साथ एसईसीएल की रेस्क्यू टीम,
जांजगीर के पिहरीद गांव का राहुल अपने घर के पीछे खेलते समय शुक्रवार दोपहर को बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। उसे बचाने के प्रयास में एनडीआरएफ़ की टीम और उसके साथ एसईसीएल की रेस्क्यू टीम लगातार काम कर रही है ।
10-12 सदस्यीय टीम , चौबीस घंटे ग्राउंड ज़ीरो पर
एसईसीएल कोरबा, कुसमुंडा एवं मनेंद्रगढ की रेस्क्यू टीम से लगभग १२ लोगों की टीम एनडीआरएफ़ के साथ लगातार एक्शन में है ।
बड़ी चुनौतियाँ
बोरवेल खुदाई की लगभग 60 फ़ीट की गहराई में राहुल के गिरने में बाद टीम ने मिलकर एक समानांतर इंक़्लाईंन विकसित किया । इसके बाद इन दोनों को आपस में जोड़ने के लिए लगभग २० फ़ीट की क्षैतिज (horizontal) खुदाई शुरू की गई जिससे राहुल तक पहुँचा जा सके । किंतु इसमें सामने हीं बड़ी चट्टान का हिस्सा आ गया जिससे खुदाई का काम दुरूह हो गया ।
ऐसी स्थिति में ब्लास्टिंग का सहारा लिया जा सकता था किंतु राहुल के लोकेशन की वजह से ऐसा कर पाना सम्भव नहीं था । और तब शुरू हुई हौसलों की लड़ाई – टीम के सदस्य ड्रिल मशीन आदि से थोड़ा थोड़ा करके चट्टान तोड़ने लगे । कई बार घंटे में १ फ़ीट तो कई बार इतना भी नहीं , इस रफ़्तार से चट्टान टूट रही थी ।
अभी अभी एसईसीएल रेस्क्यू टीम के एक सदस्य ने जानकारी दी है कि चट्टान पूरी टूट गई है और गीली मिट्टी मिल रही है ।
हर कोई यह उम्मीद लगाए बैठा है कि जल्दी से राहुल को बाहर निकाल लिया जाए। पूरे गांव के लोग भी रात भर उसी जगह पर टिके रहे, जहां पर बच्चा गिरा है। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है वहीं भाई उससे 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है।
कल रात तक राहुल के मूवमेंट महसूस किए गए हैं । राहुल बोल और सुन नहीं सकता है ।