गुरुआस्था समाचार
शहर के सबसे पुराने और बड़े जमुना प्रसाद वर्मा महाविद्यालय कॉलेज के मैदान को बचाने छात्रों ने खोला मोर्चा ,
शहर के दूसरे सबसे पुराने और बड़े कॉलेज के मैदान को बचाने जमुना प्रसाद वर्मा महाविद्यालय के छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को छात्र कलेक्टर कार्यालय पहुंच गए। इसके बाद छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। बाद में कलेक्टर सौरभ कुमार को ज्ञापन सौंपा गया है। इनकी मांग है कि किसी भी हाल में मैदान को नहीं बेचा जाना चाहिए। ये गलत है।
छात्रों का कहना है कि मैदान की बिक्री करने से छात्रों के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा। जिला प्रशासन से निवेदन है कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए मैदान को बचाएं। दुख की बात है कि कोर्ट में मैदान को बचाने के लिए जिला प्रशासन ने किसी प्रकार का गंभीर प्रयास नहीं किया। बेहतर होगा कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की जाए।
शासकीय जेपी वर्मा कॉलेज खेल मैदान ऑक्शन के फैसले के खिलाफ महाविद्यालय के छात्रों ने विरोध किया है। छात्रों ने हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद जिला प्रशासन से लिखित आवेदन कर कॉलेज मैदान को बचाने की गुहार लगाई है। छात्रों ने जिला प्रशासन को बताया कि महाविद्यालय का खेल मैदान बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे पर स्थित है। यदि ऐसा किया जाता है तो कॉलेज के करीब चार हजार छात्र छात्राओं के साथ विश्वासघात है। हजारों विद्यार्थियों को एक बंद बिल्डिंग में अध्ययन करने को मजबूर होना पड़ेगा। यह जानते हुए भी कि कॉलेज में मैदान की क्या अहमियत होती है। स्वाभाविक तथ्य है कि बिना खेल मैदान के किसी भी शिक्षण संस्थान की कल्पना नहीं की जा सकती।
दरअसल एसबीआर ट्रस्ट ने दावा किया था कि यह जमीन उनकी है, जिस मैदान बना दिया गया था। इसी लेकर उन्होंने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने अब प्रशासन को इस मैदान का ऑक्सन कराकर बेचने का फैसला दिया है। बस इसी बात का छात्र विरोध कर रहे हैं।
छात्रों ने बताया कि बिना मैदान के कॉलेजों की मान्यता नहीं मिलती है। नैक की टीम जब ग्रेडिंग के लिए आती है। तब खेल मैदान और खेल सुविधाओं की जांच पड़ताल होती है। लेकिन यहां तो मैदान को ही बेचा जा रहा है। ऐसे में कॉलेज की अहमियत ही क्या रह जाएगी। ऐसा लगता है कि प्रशासन ने पूरी प्रक्रिया के दौरान केवल ट्र्स्ट के हितों का ध्यान रखा है। यह कितना बड़ा झूठ है कि एसबीआर ट्रस्ट शिक्षा की उन्नति के लिए ही मैदान बेचकर शहर के बाहर मैदान के लिए 10 एकड़ जमीन खरीदेगा। छात्रों के साथ बहुत बड़ी साजिश है।
छात्रों का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से कोर्ट में छात्र हित में एक भी शब्द नहीं बोला गया। यह जानते हुए भी कि ट्रस्ट फर्जी तरीके से सिर्फ इसलिए बनाया गया। ताकि करोड़ों की जमीन हथियाकर जमीन माफिया अपनी जेब भर सकें। छात्र अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। लेकिन हम अपने कॉलेज के खेल मैदान को हरगिज बिकने नहीं देंगे। जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन करेंगे।