बिलासपुर पुलिस पर गंभीर आरोप: पुलिस क्वार्टर में बंधुआ बनाकर बच्चियों से काम , पढ़ें पूरी खबर – गुरुआस्था समाचार

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बिलासपुर पुलिस पर गंभीर आरोप: पुलिस क्वार्टर में बंधुआ बनाकर बच्चियों से काम

बिलासपुर –  छत्तीसगढ़ में मानवता को शर्मसार कर देने वाला एक मामला सामने आया है, जिसमें पुलिसकर्मियों पर ही गंभीर आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के गृह जिले जशपुर से लाई गई दो नाबालिग बच्चियों को बंधुआ मजदूर की तरह बिलासपुर के एक पुलिस क्वार्टर में काम कराया जा रहा था। बच्चियों से घरेलू काम कराने के साथ-साथ मारपीट और धमकाने की भी पुष्टि हुई है। रविवार रात किसी तरह से दोनों बच्चियां क्वार्टर से भागकर निकलने में सफल रहीं और सखी सेंटर पहुंचीं। फिलहाल उन्हें सुरक्षा में रखा गया है। पूरा मामला तोरवा थाना क्षेत्र का है, जिसकी जांच अब तेज़ कर दी गई है।
मामले की पूरी कहानी

बच्चियों को जशपुर से बिलासपुर लाया गया था।यहां पुलिसकर्मियों ने उन्हें अपने सरकारी क्वार्टर में रखा। उनसे झाड़ू-पोछा, बर्तन, खाना बनाना, कपड़े धोने जैसे काम कराए गए। काम न करने या विरोध करने पर उन्हेंडराया, धमकाया और पीटा गया। रविवार रात बच्चियां मौके की तलाश कर भाग निकलीं और सीधे सखी सेंटर पहुंचीं। दोनों बच्चियों के बयान दर्ज कर महिला एवं बाल संरक्षण विभाग को सूचना दी गई है।

बचाव में सामने आई संस्था – सखी सेंटर की भूमिका अहम
सखी सेंटर की टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बच्चियों को संरक्षण में लिया और उनकी काउंसलिंग शुरू की। इसके बाद मामले की सूचना बाल कल्याण समिति, पुलिस अधीक्षक और जिला प्रशासन को भेजी गई।
 अब सवालों के घेरे में पुलिसकर्मी: क्या होगी कार्रवाई?

जिन पुलिसकर्मियों पर आरोप लगे हैं, उनका नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है लेकिन जांच के घेरे में हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा आंतरिक जांच कमेटी गठित कर दी गई है। जल्द ही एफआईआर दर्ज होने की संभावना है

– क्या मुख्यमंत्री के जिले जशपुर से फिर बेची जा रही हैं बेटियां?

(जशपुर), जो कि मुख्यमंत्री विष्णु देव  का गृह जिला है, एक बार फिर मानव तस्करी के केंद्र के रूप में चर्चा में है।
➡️ बीते वर्षों में जशपुर, बस्तर, कोरिया जैसे आदिवासी जिलों से नाबालिग लड़कियों की तस्करी, उन्हें घरेलू काम के लिए दूसरे शहरों में भेजने और शोषण के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी गई है।

➡️ सरकारी दावे और ज़मीनी सच्चाई में भारी अंतर है। जबकि मुख्यमंत्री बार-बार “बेटी बचाओ” की बात करते हैं, वहीं उनके ही जिले की बच्चियों के साथ ये अमानवीय व्यवहार गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

🔍 क्या इस बार सिर्फ जांच होगी या दोषियों को सजा भी मिलेगी?

‍🗨️ क्या जशपुर में मानव तस्करी रुकने का नाम लेगी?
📌 प्रशासन की अगली कार्रवाई पर नजर
बाल संरक्षण आयोग की टीम भी बच्चियों से बात करेगी
पुलिसकर्मियों की पहचान और निलंबन की मांग उठने लगी है
मेडिकल परीक्षण व बाल संरक्षण नियमों के तहत केस दर्ज हो सकता है
मानव तस्करी की धाराओं के तहत भी जांच होगी
📢 सम्बंधित विभागों से सवाल
✔️ क्या पुलिस विभाग अपने ही कर्मचारियों पर कार्रवाई करेगा?
✔️ क्या जशपुर से बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी?
✔️ क्या इस मामले को दबाया जाएगा या फिर….

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