गुरुआस्था समाचार
एक जुलाई से बंद हो जाएंगे 100 माइक्रोन से कम क्षमता वाले प्लास्टिक,
छत्तीसगढ़ में शहरी सरकार अब प्रकृति की ओर लौट रही है। राज्य के नगरीय निकाय में रोजाना 130 टन प्लास्टिक का कचरा निकल रहा है। इससे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए शहरी सरकार ने नए विकल्प की तलाश की है। अब प्लास्टिक की प्लेट की जगह शहरों में भी दोना-पत्तल का उपयोग होगा।
नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगरीय निकायों को निर्देश दिया है कि वह छोटी दुकानों और कैटरिंग करने वालों को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में दोना-पत्तल का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। एकल उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) के विकल्प को लेकर टास्क फोर्स की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
नगरीय प्रशासन विभाग की संचालक डा प्रियंका शुक्ला ने सभी निकायों के लिए निर्देश जारी किया है। इसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है कि निकायों में कार्यरत कैटरर्स को एकल उपयोग प्लास्टिक को रोकने के लिए सचेत किया जाए। निकायों के पास पंजीकृत वेंडरों की सूची है। इसके आधार पर सभी की बैठक लेकर दोना-पत्तल के उपयोग के लिए प्रेरित करना है।
दरअसल, एकल उपयोग प्लस्टिक को बंद करने की तैयारी चल रही है। इसी कड़ी में दूध के पैकेट से लेकर खाद्य पदार्थों के प्लास्टिक पैक पर रोक लगाने पर विचार किया गया है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद एक जुलाई से 100 माइक्रोन से कम क्षमता वाले प्लास्टिक और पीवीसी से बने सामान की बिक्री पर प्रतिबंध लग जाएगा। केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार भी अलर्ट हो गई है। राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने सभी कलेक्टरों और निगम कमिश्नरों को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए जरूरी व्यवस्था की जाए।