गुरुआस्था समाचार
हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन को मिला वकीलों का साथ,कहा- कोयले के लिए जंगलों की कटाई जरूरी नहीं ,
हसदेव अरण्य को बचाने के लिए बिलासपुर में चल रहे सर्वदलीय आंदोलन को अब अधिवक्ताओं ने भी समर्थन दिया है। शुक्रवार को जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान कहा गया कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार हसदेव अरण्य जैसे जंगल में महज 15 प्रतिशत ही कोयला है। बाकी के 85 फीसदी यानि 2.70 लाख मिलियन टन कोयला दूसरे एरिया में है। ऐसे में कोयले के लिए जंगलों की कटाई जरूरी नहीं है।
बिलासपुर के कोन्हेर गार्डन में असदेव अरण्य क्षेत्र के जंगलों को बचाने के लिए सर्वदलीय आंदोलन चल रहा है। इसमें शहर के सभी सामाजिक संगठन सहित अन्य वर्ग के लोगों के साथ ही पर्यावरण प्रेमी शामिल हो रहे हैं। इस दौरान सभी वर्ग के लोग हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए केंद्र और राज्य शासन से मांग कर रहे हैं।
जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी और वकील हुए शामिल
शुक्रवार को हसदेव बचाओ आंदोलन में जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए। इस दौरान पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश में 20 हजार मिलियन टन कोयले का भंडार है। जिसमें से सिर्फ 15 फीसदी कोयला ही हसदेव अरण्य जैसे जंगल एरिया में है। बाकी के 85 फीसदी कोयला दूसरे एरिया में है। इस आंकड़ों पर गौर किया जाए तो कोयले के लिए जंगलों को उजाड़ने की जरूरत नहीं है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि आद्योगिक विकास और बिजली की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए कोयले की जरूरत है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन, कोयला उत्पादन के लिए जंगलों को उजाड़ना आवयश्क नहीं है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि जंगल को छोड़कर दूसरे जगहों से कोयले का खनन किया जाए। प्रदर्शन में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष चंद्रशेख वाजपेयी, सचिव कमल सिंह ठाकुर सहित अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी और वकील मौजूद रहे।