गुरुआस्था समाचार संपादकीय
राहुल गाँधी के लगातार उलट बयानबाजी से इंडस्ट्रीज कांग्रेस-शाषित प्रदेशों में जाने से कतरा रही है,
कांग्रेस-शाषित प्रदेशों में आजकल शक और शंका का समय चल रहा है। जहाँ राज्य सरकारें प्रदेश की उन्नति और रोजगार सृजन के लिए उद्योगों को आमंत्रण देने में लगी हुई हैं, वहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व, बिज़नेस के कंधे पर बन्दूक रख केंद्र सरकार को निशाना साधने में लगा हुआ है। पार्टी के वरिष्ट नेता राहुल गाँधी ने कुछ दिनों पहले संसद में अपने सम्बोधन के दौरान केंद्र की NDA सरकार को ‘अडानी-अम्बानी की सरकार’ कह दिया। इससे पहले भी वे अन्य कई मौकों पर यह इल्जाम लगा चुके हैं और कई बार तो उन्होंने सीधे-सीधे ऐसा कहा है कि सरकार पूंजीपतियों के इशारों पर चल रही है।
इसके ठीक उलट, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस प्रदेशों की सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं कि उनके यहाँ निवेश का एक सकारात्मक माहौल बने और बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ बिना किसी डर और शक के उनके यहाँ से अपना काम कर सकें। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, राजस्थान ने जनवरी में ‘इन्वेस्ट राजस्थान’ कार्यक्रम का भी आयोजन किया और मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने स्वयं ट्वीट करके बताया कि उनकी कुछ बड़े उद्योगपतियों से निश्चयात्मक चर्चा हो रही है।
इसके पहले छत्तीसगढ़ को अपने इन्वेस्टमेंट समिट को कुछ कारणों की वजह से टालना पड़ा था, लेकिन राहुल गाँधी जिन इंडस्ट्रीज पर आए दिन निशाना लगाते रहते हैं, उनमे से ही कुछ आज छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े निवेशकों में से एक हैं। सूत्रों के मुताबिक गाँधी के लगातार उलट बयानबाजी से अब इंडस्ट्रीज कांग्रेस-शाषित प्रदेशों में जाने से कतरा रही है और इसका सबसे बड़ा नुक्सान आम जनता को उठाना पड़ेगा।
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी इस बीच में कांग्रेस पार्टी के इस दोहरे रवैये को जनता के सामने लाने में लगी हुई है।
“राहुल गाँधी जिस तरह की बयानबाजी करते हैं, वह निवेशकों के लिए तो बिल्कुल भी सकारात्मक नहीं है। इंडस्ट्रीज को ऐसा लगने लगा है कि बिना किसी गलती के वे बेवजह कांग्रेस पार्टी के निशाने पर रहने लगी हैं। कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी के सलाहकारों के लिए जरूरी है कि वह जरा सोच समझ कर बयानबाजी करे, अन्यथा इस बेकार की राजनीति का शिकार हमेशा आम लोग ही होते हैं और देश का विकास अवरुद्ध होता है।”