गुरुआस्था समाचार
साधु संतों के बताए मार्ग पर चलेंगे तब ही रामराज की परिकल्पना को साकार कर सकेंगे- सभापति अंकित गौरहा ,
बिलासपुर – अरविंद नगर सरकंडा में राम कथा सुनने लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। आम और खास सभी लोग कथा व्यास पर विराजमान साध्वी माता अन्नपूर्णा से आशीर्वाद प्राप्त कर सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं। इसी क्रम में क्षेत्र के नेता भी शारदा शक्तिपीठ मैहर से बिलासपुर में जनता के बीच पहुंची माता अन्नपूर्णा को नमन कर बिलासपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ के लिए सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांग रहे हैं। जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने भी साध्वी माता अन्नपूर्णा के चरणों मैं झुक कर आशीर्वाद मांगा।
अरविंद नगर में आयोजित रामकथा को सुनने जनमानस की भीड़ उमड़ रही है। व्यासपीठ से साध्वी माता अन्नपूर्णा देवी की मुखारविंद से भक्तगण राम कथा का रसपान कर अपने आप को धन्य महसूस कर रहे हैं। मंगलवार को माता अन्नपूर्णा ने बताया कि कलयुग में वैतरणी पार करने का मात्र एक ही मंत्र है। जिसने राम मंत्र का जाप किया उसका जीवन धन्य हो गया है।
गोस्वामी तुलसीदास ने कहते है कि राम से बड़ा राम का नाम । माता अन्नपूर्णा ने कहा कि राम इस दुनिया का बीज मंत्र है। सुबह शाम जब भी अवसर मिले राम का नाम लेने मात्र से जीवन की नैया पार हो जाती है। मंगलवार को राम कथा सुनने पहुंचे भारी संख्या में लोगों ने राम नाम का रसपान किया। व्यासपीठ से माता अन्नपूर्णा ने बताया रामचरितमानस मानव जीवन का सच्चा दर्पण है। रामचरितमानस में बताया गया है कि इंसान को इस दुनिया में मर्यादा में रहकर किस प्रकार का आचरण करना चाहिए। बंधनों में रहते हुए भी किस तरह भगवान राम के पद चिन्हों पर चलते हुए जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। जिसने भी भगवान का अनुसरण किया उसका जीवन धन्य हुआ है।
मौके पर मौजूद जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने बताया कि हमने बचपन से लेकर आज तक यही सुना है कि राम राज्य में ऊंच-नीच जात पात के आधार पर दूरियां नहीं थी। राम राज्य में अमीर गरीब सब मिलजुल कर रहते थे तभी तो कहा जाता है की भगवान राम के राज्य में आम जन मानस के बिच एकता और आपसी समन्वय की भावना थी । सभी लोग इस दौरान जाती पाती से ऊपर उठकर अपने उत्तरदायित्व को पूरा करते थे। मतलब यहां ना कोई कमजोर था और ना ही कोई मजबूत । सही मायनों में राम राज्य में सबको समान अधिकार प्राप्त था। हमारा और हमारी सरकार का भी मानना है कि जब तक हम मानव धर्म के मर्म को नहीं समझेंगे तब तक रामराज की परिकल्पना दूर की कौड़ी है। हमें रामचरितमानस और भगवान राम के आदर्शों पर चलकर प्रदेश में रामराज्य स्थापना का संकल्प लेना होगा।
अंकित ने बताया 2 दिन पहले ही प्रदेश में बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई है। बाबा गुरु घासीदास ने जनमानस में मनखे मनखे एक समान का मंत्र दिया। बावजूद इसके हम अपने स्वार्थ के आगे एकता के बीज मंत्र को किनारे कर दिया हैं। हमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पद चिन्हों पर चलना होगा। साधु संतों के बताए गए मार्ग और निर्देशों का पालन करना होगा। तब ही हम सही मायनों में रामराज की परिकल्पना को साकार कर सकेंगे।