गुरुआस्था समाचार
संत श्री आशारामजी आश्रम भोरमदेव में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गुरुपूर्णिमा-महोत्सव,
संत आशारामजी बापू आश्रम भोरमदेव में बड़ी संख्या में कबीरधाम जिले की सैकड़ों गांवों से आयें श्रद्धालुओं ने गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया। गुरुपूर्णिमा के निमित्त आश्रम में सुबह गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। दूर-दूर से आये भक्तों ने गुरु-पादुका पूजन, मानस गुरु-पूजन एवं प्रार्थना की और अपने गुरुदेव के शीघ्र दर्शनप्राप्ति हेतु जप-संकल्प किया। सत्संग भवन सहित पूरा आश्रम भक्तों की भीड़ से भरा रहा। अपने गुरुदेव को मन-ही-मन याद करते हुए भक्त भाव-विभोर होते नजर आये।पूर्णिमा कार्यक्रम में आए हुए सैकड़ों आदिवासी परिवारों में भंडारे का भी आयोजन किया गया।
अपना ईश्वरीय वैभव जगाने का पर्व: गुरुपूर्णिमा
गुरुपूर्णिमा का दूसरा नाम है व्यासपूर्णिमा। वेद के गूढ़ रहस्यों का विभाग करनेवाले कृष्णद्वैपायन की याद में यह गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया जाता है। भगवान वेदव्यास ने बहुत कुछ दिया मानव-जाति को। विश्व में जो भी ग्रंथ हैं, जो भी मत, मजहब, पंथ हैं उनमें अगर कोई ऊँची बात है, बड़ी बात है तो व्यासजी का ही प्रसाद है।
श्रद्धालुओं को प्रत्येक वर्ष गुरुपूर्णिमा के अवसर पर बापूजी द्वारा सेवा-साधना का नया पाठ मिलता था, लगातार 9 वर्षों से बापूजी के प्रत्यक्ष दर्शन व सत्संग का सान्निध्य नहीं मिलने से श्रद्धालु व्यथित थे। उन्होंने सरकार व न्यायपालिका से अपील की है कि निर्दोष बापूजी को जल्द-से-जल्द रिहा कर करोड़ों व्यथित हृदयों को सांत्वना प्रदान करें। श्रद्धालुओं ने बापू द्वारा सिखाये गये परोपकार, संयम, सदाचार, कर्तव्यपालन, संस्कृतिरक्षा, गौ-सेवा, समाज-सेवा के आदर्शों पर और आगे बढ़ने का संकल्प लिया ।
इस अवसर पर सुखी, स्वस्थ व सम्मानित जीवन के गुर सिखानेवाली आश्रम से प्रकाशित मासिक पत्रिका ’ऋषि प्रसाद‘ की जयंती भी मनाई गयी। ऋषि प्रसाद को घर-घर पहुँचानेवालों सेवाधारियों ने बताया कि इस पत्रिका को पढ़नेवाले लाखों पाठकों के जीवन में खुशहाली आयी है व परिवार में माहौल सुख-शांतिप्रद हुआ है। ट्विटर के माध्यम से पाठकों ने ऋषि प्रसाद पत्रिका की विशेषताओं को जनमानस तक पहुँचाया। देश-विदेश में फैले बापू के भक्तों ने गुरुपूर्णिमा के निमित्त सोशल मीडिया के माध्यम से अपने सदगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
देश-विदेश के संत श्री आशारामजी आश्रमों में गुरुपूजन, जप, ध्यान, सत्संग-श्रवण, पादुका-पूजन, गरीबों को भोजन व जीवनोपयोगी सामग्री वितरण आदि करके गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया गया।