गुरुआस्था समाचार
परसा कोल ब्लाक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हम सभी के लिए डेथ वारंट के समान, हमें बिजली भी चाहिए और जंगल भी-वीरेंद्र पांडेय ,
अंबिकापुर प्रतिनिधि –छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व विधायक वीरेंद्र पांडेय ने परसा कोल ब्लाक के आबंटन और पेड़ो की कटाई का विरोध किया है। प्रभावित क्षेत्र के लोगों से मुलाकात के बाद अंबिकापुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए वीरेंद्र पांडेय ने कहा है कि इस परियोजना से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर, हम सभी के लिए डेथ वारंट के समान है। हम सभी की हत्या के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए है। यह आंदोलन सिर्फ तीन गांवों का नहीं हम सभी का होना चाहिए क्योंकि यदि जंगल साफ हुआ तो विनाश भी तय है।
इस परिस्थिति के लिए उन्होंने लालच को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस परियोजना से भूपेश सरकार,गहलोत सरकार के साथ अडानी कंपनी की लालच जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि कोल परियोजना आरंभ करने चार गुना मुआवजा,व्यवस्थापन सहित अन्य सुविधाएं देनी होगी यदि सरकारें वैकल्पिक ऊर्जा के तहत सौर ऊर्जा की पहल करें तो खर्च भी बचेगा और जंगल भी सुरक्षित रहेगा।मुआवजा,व्यवस्थापन के खर्चे से कम पर सोलर पैनल से बिजली उत्पादन हो सकता है।
राजस्थान सरकार यदि घरों,शासकीय कार्यालयों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था करे यो हसदेव अरण्य का जंगल भी बच जाएगा।उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तब राहुल गांधी खुद प्रभावित क्षेत्र में आये थे और उनका वादा ग्रामीणों को याद है कि जंगल नहीं उजड़ने देंगे लेकिन आज सत्ता में आते ही कांग्रेस भी अपना वादा भूल गई है।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले अडानी कंपनी ने किसे राशि दी,किसके माध्यम से विधायक प्रत्याशियों तक राशि पहुंची, यह किसी से छिपी नहीं है।यह दौर कठिन है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री के आते ही छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोल ब्लाक के लिए अनुशंसा करना हम सभी के लिए मृत्यु का फरमान है। इसके लिए हम सभी को आगे आना होगा।चिपको जैसा आंदोलन शुरू करना होगा तभी हम जंगल बचा सकेंगे।जल,जंगल,जमीन की यह लड़ाई तीन गांव की नहीं हम सभी की है। हम सभी मिलकर प्रयास करें तो सरकार को झुकना ही होगा।उन्होंने छत्तीसगढ़ में शराब और खनिजों के परिवहन के एवज में अवैध उगाही किए जाने का भी आरोप लगाया।
हमें बिजली भी चाहिए और जंगल भी
राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर भी पलटवार किया है।उन्होंने कहा कि-मुख्यमंत्री कहते है कि देश की जनता को तय करना है कि बिजली चाहिए या नहीं लेकिन मैं कहता हूं कि बिजली भी चाहिए और जंगल भी चाहिए। यदि दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो जंगल की बलि देकर बिजली के लिए कोयला उत्खनन के बजाय हम वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन पर जोर देंगे इसके लिए बुद्धि होनी चाहिए। कम खर्चे पर हम सौर ऊर्जा से जरूरतें पूरी कर सकते हैं।