गुरुआस्था समाचार
शादी के चंद माह के बाद तलाक, 500 करोड़ गुजारा भत्ते की डिमांड
एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या की घटना के बाद समाज में गुजरा भत्ता के बहाने पुरुषों को कथित तौर पर प्रताड़ित करने के मसले पर बहस छिड़ी हुई है. इस बीच एक नया केस सामने आया है. इस मामले में चंद माह की शादी के बाद पति-पत्नी के बीच तलाक हो गया. इसके बाद महिला ने पति से 500 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ते की डिमांड की. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और फिर जाकर शीर्ष अदालत ने एक अहम फैसला दिया है. दरअसल, यह कहानी अमेरिका में एक सफल आईटी कंसल्टेंसी चलाने वाले भारतवंशी अमेरिकी नागरिक की है. उन्होंने 31 जुलाई 2021 को भारत की एक महिला के साथ शादी की. हालांकि यह उनकी दूसरी शादी थी. इससे पहले पहली पत्नी से उनका तलाक हो गया था. उन्होंने गुजराभत्ता के रूप में पहली पत्नी को 500 करोड़ रुपये की रकम दी थी.
शख्स की दूसरी शादी भी टूट गई. दूसरी शादी में शख्त अपनी पत्नी के साथ चंद महीने ही रहा. फिर दोनों के बीच तलाक हो गया. इस तलाक के बाद महिला ने पति से पहली पत्नी के बराबर ही गुजारा भत्ते की मांग की. अब सुप्रीम कोर्ट ने पति को दूसरी पत्नी को 12 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. पति ने सुप्रीम कोर्ट से संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने पूरी तरह टूट चुके विवाह को रद्द करने की अपील की थी. दूसरी पत्नी ने जवाब में कहा कि उसे भी पहली पत्नी के बराबर स्थायी गुजारा भत्ता मिलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने इस मांग पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि दूसरी पत्नी, जिसने पति के साथ कुछ ही समय बिताया, पहली पत्नी की तुलना में समान गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती. 73 पन्नों के विस्तृत फैसले में जस्टिस नागरत्ना ने लिखा, “हमें इस प्रवृत्ति पर गंभीर आपत्ति है कि गुजारा भत्ता को पति-पत्नी के बीच संपत्ति की बराबरी का माध्यम समझा जाता है. अक्सर महिलाएं अपने आवेदन में पति की संपत्ति, स्थिति और आय का उल्लेख करते हैं और फिर ऐसी राशि की मांग करते हैं जो उनकी संपत्ति के बराबर हो.”
पीठ ने कहा कि गुजारा भत्ता का कानून पत्नी को गरीबी से बचाने, उसकी गरिमा बनाए रखने और सामाजिक न्याय दिलाने के लिए है. कानून के अनुसार, पत्नी को उसी स्तर का जीवन जीने का अधिकार है, जैसा वह अपने वैवाहिक घर में रहती थी. लेकिन, अलग होने के बाद यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि पति उसे हमेशा अपने वर्तमान स्तर के अनुसार बनाए रखे. अगर पति ने अलगाव के बाद प्रगति की है, तो उसे हमेशा अपनी पूर्व पत्नी को उस स्तर पर बनाए रखने का बोझ डालना गलत होगा.
पति गरीब हो जाता तो…
पीठ ने सवाल उठाया कि अगर पति अलगाव के बाद दुर्भाग्यपूर्ण हालातों में गरीब हो जाए है, तो क्या पत्नी संपत्ति की बराबरी की मांग करेगी? उन्होंने कहा कि गुजारा भत्ता तय करने के लिए कोई स्पष्ट फॉर्मूला नहीं है. दूसरी पत्नी पहली पत्नी के बराबर राशि मांगने का हक नहीं रखती क्योंकि पति की उस समय की जो आय थी वह अब बदल चुकी है.
याचिका में दूसरी पत्नी ने कहा कि पहली पत्नी को 500 करोड़ रुपये के स्थायी गुजारा भत्ता के अलावा अमेरिका के वर्जीनिया में एक घर भी दिया गया. पति ने दूसरी पत्नी को 20 से 40 लाख रुपये की स्थायी राशि का प्रस्ताव दिया, यह कहते हुए कि उसने उसके के साथ बहुत कम समय बिताया और इतने दिनों में ही उसके खिलाफ कई मामले दायर कर दिए गए. सुप्रीम कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह 10 करोड़ रुपये स्थायी गुजारा भत्ता दे, साथ ही पुणे और भोपाल में महिला के ससुर के दो फ्लैट खाली करने के लिए 2 करोड़ रुपये अतिरिक्त दे. इसके अलावा, पति को मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 30 लाख रुपये भी देने होंगे.